उत्तर प्रदेश एवं बिहार के राज्यपाल छत्रपति शिवाजी महाराज जन्मोत्सव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए


मराठी समाज उत्तर प्रदेश द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक, बिहार के राज्यपाल श्री लालजी टण्डन, मुख्य वक्ता डाॅ0 संदीप राज महिंद गुरूजी, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह, मराठी समाज के अध्यक्ष श्री उमेश कुमार पाटील सहित बड़ी संख्या में अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। राज्यपाल श्री राम नाईक एवं बिहार के राज्यपाल श्री लालजी टण्डन सहित सभी अतिथियों ने विश्वविद्यालय के प्रागंण में स्थापित शिवाजी महाराज की अश्वरोही कांस्य प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके नमन किया। कार्यक्रम में शिवाजी के जन्मस्थल शिवनेरी दुर्ग से लखनऊ तक 1,600 किलोमीटर की यात्रा कर पहुंची युवक मण्डली भी सम्मिलित थी।

राज्यपाल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का दिन दो दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आज ही छत्रपति शिवाजी की जयंती है और संत रविदास की भी जयंती है। संत रविदास ने जिस प्रकार सभी लोगों को जोड़ने का काम किया है, वह अनुकरणीय है। ऐसे दोनों महापुरूषों को मैं नमन करता हूँ। राज्यपाल ने कहा कि आज वाराणसी में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की है कि वहाँ संत रविदास का भव्य मंदिर बनेगा। छत्रपति शिवाजी ने जो काम किया है वह ऐतिहासिक रहा है, लोग उन्हें आदर्श शासक के रूप में याद करते हैं। शिवाजी के जीवन के अनेक पक्ष थे। वे एक कुशल राजा और अप्रतिम योद्धा थे जो कम सेना के बावजूद सेना का कुशलतापूर्वक नेतृत्व करने की क्षमता रखते थे। शिवाजी ने औरगंजेब के साथ-साथ अन्य राजाओं के साथ संघर्ष किया पर हार नहीं मानी तथा हिन्दवी स्वराज की स्थापना की। उन्होंने कहा कि शिवाजी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर नजर डाले तो यह ज्ञात होता है कि उन्हें श्रेष्ठ शासक क्यों माना जाता है। 

श्री नाईक ने छत्रपति शिवाजी को याद करते हुए बताया कि शिवाजी की माता जीजाबाई की इच्छा थी कि कोण्डाना किला छत्रपति शिवाजी के पास होना चाहिए। शिवाजी की सेना के सरदार तानाजी अपने पुत्र के विवाह का निमंत्रण देने आये थे। माता जीजाबाई की इच्छा को जानकर उन्होंने कहा कि पहले कोण्डाना जीतेंगे बाद में शादी होगी। युद्ध में तानाजी शहीद हुए तो शिवाजी ने कोण्डाना किले का नाम सिंहगढ़ रखते हुए कहा कि ‘गढ़ आला पण सिंह गेला’ अर्थात, ‘गढ़ तो जीत लिया पर सिंह चला गया’। शिवाजी के अनुशासन की बात करते हुये उन्होंने बताया कि शिवाजी को पुत्र संभाजी के मुगलों से मिलने का संदेह हुआ तो उन्होंने पुत्र के प्रति कठोर निर्णय लेकर उन्हें पन्हाला किले में कैद कर दिया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज में अनुशासन के साथ सबको साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता थी। 

राज्यपाल ने कहा कि शिवाजी महाराज को आत्मसम्मान बहुत प्रिय था। औरंगजेब ने उन्हें धोखा देकर कैद कर लिया था। राज्यपाल बनने के बाद उन्होंने अपने आगरा भ्रमण में देखा कि आगरा किले के दीवान-ए-खास में स्थापित शिलापट्ट पर 1666 ई0 में शिवाजी के औरंगजेब से मिलने के उल्लेख के साथ कुछ भ्रामक तथ्य अंकित थे। उनके प्रयास से शिलापट्ट से भ्रामक तथ्यों को हटाया गया। शिवाजी ने जब हिन्दवी स्वराज की स्थापना की तो कुछ लोग उनको राजा मानने को तैयार नहीं थे। सुझाव आया कि यदि काशी के विद्धान पंडित गागा भट्ट राज्याभिषेक करायें तो शिवाजी को छत्रपति राजा माना जायेगा। प्रभु राम वनवास के समय नासिक के पंचवटी में रहे तथा शिवाजी का राज्याभिषेक वाराणसी के पंडित गागा भट्ट ने किया, यह दोनों प्रदेशों के ऐतिहासिक संबंधों को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी की अश्वरोही मूर्ति का निर्माण उन्हें समाधान देने वाला कार्य है।

कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल श्री लालजी टण्डन ने कहा कि छत्रपति शिवाजी स्मरण योग्य व्यक्तित्व हैं। शिवाजी न होते तो आज हम न होते। शिवाजी ने भारतवासियों को गौरव प्रदान किया है। भारत के इतिहास में शिवाजी जैसा एक ही व्यक्तित्व है जो मातृभूमि के लिये लड़ा। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। शिवाजी को राजा की हैसियत से नहीं बल्कि योद्धा की हैसियत से याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि शिवाजी ने स्वाभिमान के लिए संघर्ष किया।

कार्यक्रम में महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया एवं डाॅ0 संदीप राज महिंद गुरूजी सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर राज्यपाल एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। 

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