संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘अवध संध्या’ का आयोजन

 उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘अवध संध्या’ श्रृंखला में शुक्रवार को शास्त्रीय-उपशास्त्रीय गीतों के साथ शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्îम के भाव मंच पर उतरे। संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम में फागुनी गीतों की रसवर्षा भी हुई। आयोजन का शुभारम्भ निदेशक संस्कृति व सूचना श्री शिशिर, अकादमी अध्यक्ष डा. पूर्णिमा पाण्डेय व सचिव, डा. रुबीना बेग ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ सुप्रसिद्ध गायिका मन्दिरा लहरी ने राग वागेश्वरी, तीन ताल में निबद्ध ‘वन वन बोलत कोयलिया, आई बसन्त बहरिया, फूली चमेली बिलरिया’ से किया। राग बसन्त बहार में तीन ताल पर प्रस्तुति ‘रसिया को अब नारी बनाऊंगी, चुनरी और उढ़ाऊंगी’ तथा द्रुत लय एक ताल में निबद्ध ‘फागुन मास आयो री, चलो सब मिल खेलें होरी’ पर श्रोता भाव विभोर हो उठे। इसके साथ ही राग काफी में प्रस्तुत ठुमरी ‘ऐसी करी बरजोरी, देखो बहिंया पकड़ मरोरी’ तथा पारम्परिक धुन में चैती ‘बाज उठी शहनाई हो रामा चैत ही मास’ आदि गीतों की भी प्रस्तुति हुई। संगत कलाकारों के रुप में हारमोनियम पर पं. धर्मनाथ मिश्र व तबला पर पं. अरुण भट्ट ने प्रभावी संगत की।

अगली प्रस्तुति में भरतनाट्यम नृत्यांगना अर्चना पाण्डेय ने साथी कलाकारों के साथ कृष्ण पर आधारित मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। ‘शान्ताकारम् भुजगशयनम्’ तथा राग मालिका में निबद्ध ‘मधुराष्टकम्’ पर भाव नृत्य के साथ ही अभिनय प्रधान ‘दशावतार’ की मनमोहक प्रस्तुति भी हुई। कार्यक्रम के अन्त में राग धनश्री में निबद्ध तिल्लाना पर दर्शक झूम उठे। साथी कलाकारों में कीर्ति सिन्हा, नीतू सिंह, श्रद्धा निगम, अंकू सिंह ने शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम के पारम्परिक पक्ष का सजीव प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन श्री जीतेश श्रीवास्तव ने किया।

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