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राज्यपाल ने संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी को सम्बोधित किया


उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित द्वारा विधान भवन स्थित तिलक हाॅल में आयोजित ‘संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी’ का समापन किया। समापन समारोह में कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित, प्रमुख सचिव विधान सभा श्री प्रदीप दुबे सहित वरिष्ठ पत्रकार श्री के0 विक्रम राव, उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त समिति के अध्यक्ष श्री हेमन्त तिवारी व बड़ी संख्या में पत्रकारगण उपस्थित थे। 

राज्यपाल ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुये कहा कि सदन की रिपोर्टिंग प्रदेश का दर्पण है। जो भी सदन में हो रहा है, मीडिया उसे जनता तक ले जाने का कार्य करती है। इस दर्पण में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों दिखाई दें। खबर में सच्चाई होनी चाहिए। सत्य का वृत्त और टिप्पणी दो अलग-अलग बात है। सदन की सकारात्मक खबर अच्छी तरह, पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत की जाये। इससे रिपोर्टिंग की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और सदन के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि आपके शब्द दस्तावेज बनते हैं।

श्री नाईक ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है। देश में संसद से लेकर ग्राम पंचायत तक के प्रतिनिधि हैं। जनतंत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों महत्वपूर्ण घटक हैं। सत्ता घोषणा पत्र के अनुसार कार्य करें और विपक्ष अपने सुझाव से कमियों को दूर करने में भूमिका निभायें। सरकार को अपना काम करने का अवसर मिले और विपक्ष को अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते हुये अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि मीडिया सकारात्मक भूमिका निभाते हुये पाठकों तक बात पहुंचाये।

राज्यपाल ने कहा कि ‘कल से उत्तर प्रदेश का सदन प्रारम्भ हो रहा है जिसमें राज्यपाल की हैसियत से वे दोनों सदनों के समवेत आहूत सत्र को सम्बोधित करेंगे। सदन में अभिभाषण पढ़ना मेरी, विधान सभा अध्यक्ष, विधायकों और पत्रकारों की परीक्षा है। मुझे सदन का अनुभव है क्योंकि मैं तीन बार महाराष्ट्र विधान सभा का तथा पांच बार लोक सभा का सदस्य रहा हूँ तथा मंत्रियों, विधायकों एवं सांसदों को प्रशिक्षण देने का भी कार्य किया है।’ जनता की समस्याओं का समाधान हो तो ऐसे मुद्दे को लेकर खबर बनाई जानी चाहिए। प्रयास करें कि सदन की सकारात्मक खबर को ‘बेस्ट आइटम आॅफ द डे’ के रूप में प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिये गरिमा के विरूद्ध आचरण करते हैं।

श्री नाईक ने कहा कि सकारात्मक कार्य होता है तो मीडिया भी उसका समर्थन करके सकारात्मक रूप से प्रस्तुत करती है। विपक्ष में रहते हुये उन्होंने सदन में 9.12.1991 को संसद में राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत के गायन पर चर्चा की जिसके पश्चात् आजादी के 45 वर्ष बाद 24 नवम्बर 1992 को संसद में ‘जन-मन-गण’ और 23 दिसम्बर 1992 को ‘वंदे मातरम’् गायन की शुरूआत हुई। इसी प्रकार 23 दिसम्बर 1993 को ‘सांसद निधि’, 28 जुलाई 1994 को मुंबई को उसका असली नाम देना तथा 29 दिसम्बर 1992 को स्तनपान प्रोत्साहन के लिये निजी विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विषय पर उनके प्रयास से कार्य हुआ। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को मीडिया ने सराहा जिससे उनकी एक अलग पहचान बनी।

विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने राज्यपाल का स्वागत करते हुये कहा कि राज्यपाल का सदन में रहने का लम्बा अनुभव है। यह पहला अवसर है जब सदन और पत्रकारिता के लोग एक साथ बैठे हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि पत्रकारिता के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हैं और बाद में उसका सदुपयोग भी करते हैं। 

वरिष्ठ पत्रकार के0 विक्रम राव ने कहा कि आज के ही दिन लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने समाचार पत्र ‘केसरी’ की शुरूआत की थी। उन्होंने विधान सभा के कई प्रसंग सुनाते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा का गौरवमयी इतिहास है। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल प्रतिपक्ष का हथियार है जिसका सदुपयोग करना चाहिए

 


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