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राज्यपाल के व्यक्तित्व पर प्रोफेसर रामदरश ने लिखी पुस्तक ‘पुण्डरीक प्रहरी’


दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्ववविद्यालय, गोरखपुर के हिन्दी विभाग के पूर्व प्रोफेसर रामदरश राय ने राज्यपाल श्री राम नाईक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर लिखित पुस्तक ‘पुण्डरीक प्रहरी’ की प्रथम प्रति राज्यपाल की पत्नी श्रीमती कुंदा नाईक को भेंट की। इस अवसर पर राज्यपाल श्री राम नाईक, न्यायमूर्ति श्री राजीव माहेश्वरम् सहित अन्य विशिष्टजन भी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि प्रोफेसर रामदरश राय ने बहुत ही रोचक एवं सुंदर पुस्तक स्वप्रेरणा से लिखी है। अब तक प्रोफेसर राय नेे 36 पुस्तकें सम्पादित की हैं। पुस्तक ‘पुण्डरीक प्रहरी’ मेरे जीवन पर लिखी हुई पहली पुस्तक है। मेरी मातृभाषा मराठी है। पुण्डरीक शब्द के अनेक अर्थ है जैसे सफेद कमल, एक सुगंधित पौधा, एक तीर्थ स्थल एवं तिलक आदि। पर मुझे लगता है कि यह सारी विशेषताएं मुझमें नहीं हैं। अतिश्योक्ति साहित्य में एक अलंकार के रूप में प्रयोग होता है। मैंने पहले कभी कोई पुस्तक नहीं लिखी। सामाजिक जीवन में प्रेस विज्ञप्ति या अपनी वार्षिक रिपोर्ट ही बनाई है। राज्यपाल ने प्रोफेसर रामदरश राय का धन्यवाद देते हुये पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन में निरन्तर चलते रहने में ही सफलता का मर्म निहित है।

श्री नाईक ने कहा कि आज का दिवस देश की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आज हमारी वायुसेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी शिविरों को नष्ट करने का पराक्रम किया है। पुलवामा में सी0आर0पी0एफ0 के 44 जवानों की शहादत से पूरे देश में पाकिस्तान के विरूद्ध गहरा आक्रोश था। प्रधानमंत्री ने जनता को आश्वस्त किया था कि सेना उचित समय पर कार्रवाई करने के लिये स्वतंत्र है। सूत्रों के अनुसार, 250 से 300 आतंकियों का सफाया हुआ है। आज पूरा देश अपनी सेना पर गर्व कर रहा है। आज वीर सावरकर की पुण्य तिथि है जो एक कवि के साथ-साथ ऐसे इतिहासकार थे जिन्होंने प्रमाणित रूप से 1857 के संग्राम को स्वतंत्रता का पहला समर कहा, जिसे अंग्रेजों ने बगावत कहा था। उन्होंने कहा कि ऐसे में पुस्तक ‘पुण्डरीक प्रहरी’ की प्रति मिलना आनन्द देने वाली बात है।

प्रोफेसर रामदरश राय ने कहा कि पुस्तक की पृष्ठभूमि वर्ष 2016 में बनी जब वे मुंबई में मराठी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ के विमोचन समारोह में गये थे। राज्यपाल की पुस्तक पढ़कर प्रभावित हुए कि वे कैसे इतनी व्यस्तता में पुस्तक लिखने का समय निकालते थे। उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़ने के बाद उन्हें लगा की राज्यपाल राम नाईक के व्यक्तित्व पर पुस्तक लिखनी चाहिए।

कार्यक्रम में न्यायमूर्ति श्री राजीव माहेश्वरम् ने भी अपने विचार रखे।

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