सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

राज्य संग्रहालय में आयोजित कला अभिरूचि पाठ्यक्रम के तीसरे दिन ‘संग्रहालय एवं पर्यटन’ विषय पर व्याख्यान

 

लखनऊ:  राज्य संग्रहालय में 30 जनवरी से 16 फरवरी 2019 तक आयोजित होने वाले ‘कला अभिरुचि पाठ्यक्रम’ के तीसरे दिन आज मुख्य वक्ता के रूप में पर्यटन विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक, डॉ राजेंद्र प्रसाद ने संग्रहालय एवं पर्यटन विषय के माध्यम से संग्रहालय से पर्यटन के अटूट एवं पारस्परिक सम्बन्धों को बड़ी ही सहजता के साथ व्याख्यायित किया तथा बताया की ये एक दूसरे के पूरक हैं।  

उन्होंने यह कहा कि देश का हर एक क्षेत्र सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधताओं से भरपूर हैं और संग्रहालय किसी देश अथवा क्षेत्र विशेष के सांस्कृतिक सम्पदा, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहरों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने का वह केन्द्र होता है, जहां प्राचीन 

कलाकृतियों को संग्रहीत कर राष्ट्र के अतीत की गौरवशाली संस्कृति का दर्शन सामान्य जनमानस को कराया जाता है। इस समृद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहरों से पर्यटन को बढ़ावा मिलता हंै। 

उन्होंने बुन्देलखण्ड के पर्यटक स्थलों के रूप में विख्यात धरोहरों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि देवगढ़ जिला ललितपुर में हिन्दू, जैन एवं बौद्ध धर्मों के स्मारक एक साथ मिलते हैं तथा देवगढ़ विभिन्न धर्मों की मूर्ति निर्माण केन्द्र के रूप में विख्यात था। कामरूपी प्रतिमाएं छठी शती से ही देवगढ़ से मिलनी प्रारम्भ हो गई किन्तु 12वीं शती में खजुराहो में मूर्तिकला को राज संरक्षण प्राप्त होने के कारण खजुराहो की मूर्तिकला आज विश्वविख्यात है। तात्कालिक समय में निर्मित ये स्मारक वत्र्तमान समय में पर्यटन के विकास में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करते हंै।

कार्यकम का संचालन श्रीमती रेनू द्विवेदी, सहायक निदेशक, पुरातत्व (शैक्षिक कार्यक्रम प्रभारी) ने किया। कार्यकम के अन्त में डाॅ0 आनन्द कुमार सिंह, निदेशक, उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय ने बताया कि संग्रहालय ज्ञान का वातायन, भविष्य का शिक्षक, अतीत का संरक्षक एवं भविष्य का उन्नायक है, जहां संग्रहालय एक तरफ पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है वहीं दूसरी तरफ जिज्ञासुओं के लिए प्रेरणा स्थल।

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...

इफ्तार पार्टियों का आयोजन लगातार जारी।

  सीकर-राजस्थान।        जनपद मे माहे रमजान शुरू होने के साथ ही अनेक सामाजिक व शेक्षणिक संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत लोगो द्वारा इफ्तार का आयोजन का सीलसीला जारी है।    इस सीलसीले के तहत सीकर शहर मे आज इतवार को सीकर में पंचायत शेखावाटी लीलगरान और युवा कमेटी की तरफ से रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन सय्यदा मस्जिद फतेहपुर रोड़ भैरुपुरा कच्चा रास्ता सीकर में किया गया। ,जिसमे सैकड़ों रोजेदारों ने शिरकत की और प्रदेश में अमन चैन की दुआ मांगी,इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज पढ़ी गई।

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले मुस्लिम विरोधी हिंसक तत्वों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं- शाहनवाज़ आलम

  नयी दिल्ली, 9 मार्च 202 5. न्यायालयों द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए गए विवादित फैसलों से यह संदेश जा रहा है कि मई में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश पर आरएसएस और भाजपा अपने सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में दबाव डालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. सेकुलर सियासी दलों और नागरिक समाज को इन मुद्दों पर मुखर होने की ज़रूरत है. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 185 वीं कड़ी में कहीं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज का किसी को मियां तियाँ और पाकिस्तानी कहने को अपराध नहीं मानना साबित करता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज मुस्लिम विरोधी हिंसा में हिंसक तत्वों द्वारा प्रतुक्त होने वाली इन टिप्पणियों को एक तरह से वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं. इस फैसले के बाद ऐसे तत्वों का न सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा बल्कि वो इसे एक ढाल की तरह इस्तेमाल करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जाने वाले पीड़ित मुस्लिमों का मुकदमा भी पुलिस नहीं लिखेगी. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी मस्जिद के अंदर जबरन घुसकर जय श्री राम के ना...