लखनऊ । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने केन्द्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि एक साल के बजट में दस साल आगे की झूठी बात है। बहुसंख्यक भूमिहीन किसानों एवं श्रमिकों के लिए इसमें कुछ भी राहत नहीं है। लोकसभा चुनावों को सिर पर देखकर भाजपा ने लोकलुभावन बजट बनाकर मतदाताओं को गुमराह करने का काम किया है। भाजपा की केन्द्र सरकार को जनता की नहीं, केवल वोट बटोरने की फिक्र है। अपने पूरे कार्यकाल में उसने नोटबंदी और जीएसटी के द्वारा जनता को सिर्फ परेशान करने का काम किया है। इससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। अब चलते-चलते भाजपा ने चुनावी बजट पेश कर अपने 15 लाख रूपये खाते में जमा करने, नौजवानों को 2 करोड़ नौकरियां देने, मंहगाई कम करने के वादों की तरह कुछ नए वादे और जुमले उछाले दिए हैं। किसान कर्ज और वसूली से तबाह है। भाजपा सरकार ने पिछले 5 सालों में 5-5 किलो करके खाद की बोरियों से जो निकाला है, अब उसी को वह 6 हजार रूपया बनाकर साल भर में वापस करने का ढोंग कर रही है। भाजपा ने दाम बढ़ाकर व वजन घटाकर दोहरी मार मारी है। अगले चुनाव में किसान ‘बोरी की चोरी करने वाली भाजपा‘ का बोरिया बिस्तर ही बांध देगी। भाजपा सरकार केे 4.5 साल में बेरोजगारी पिछले 45 साल से ज्यादा बढ़ी है। नौकरियों का झूठा ख्वाब दिखाने वालों से एक-एक नौकरी ना मिलने का बदला लेंगे। पांच सालों की प्रताड़ना और पीड़ा के बाद देश के किसान, व्यापारी, कारोबारी, बेरोजगार युवा अब भाजपा से मुक्ति चाहते हैं, दिखावटी एलान नहीं। वही युवा जो विकास का सपना देखकर गांव छोड़ते हैं, अब उनकी सŸाा छीन कर ही दम लेंगे, जिन्होंने उनके सपने छीने है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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