महिलाओं को आगे बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए - राम नाईक


उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने कहा कि फिक्की-लेडीज आर्गनाईजेशन द्वारा महिलाओं के लिये कानूनी सहायता प्रकोष्ठ का प्रारम्भ करना महत्व का विषय है। भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है। भारतीय संविधान ने महिला एवं पुरूष को समान अधिकार दिये हैं पर व्यवहारिक तौर पर बराबरी नहीं है जो चिंता का विषय है। महिलायें आज भी अनेक प्रकार के अत्याचार की शिकार होती हैं। भारतीय संस्कृति के अनुसार, जहाँ नारी का सम्मान होता है वहाँ देवता वास करते हैं। इस मान्यता को घोषणा तक सीमित न रखकर व्यवहार में लाने की आवश्यकता है। केन्द्र एवं राज्य सरकार ने महिलाओं को अनेक सुविधायें प्रदान की हैं। महिलाओं को आगे बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए। महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिये ऐसी संस्थाओं में जहाँ संभव हो पुरूषों को भी जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं में नई चेतना विकसित होगी।

राज्यपाल ने आज उक्त विचार आर0टी0आई0 भवन में फिक्की लेडीज आर्गनाइजेशन (एफ0एल0ओ0), लखनऊ-कानपुर चैप्टर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। इस अवसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सुश्री श्रीदेवी, मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी, एफ0एल0ओ0 लखनऊ-कानपुर चैप्टर की अध्यक्ष श्रीमती रेनुका टण्डन, वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री रीना जार्ज, श्रीमती असमा हुसैन फैशन डिजायनर, चैप्टर की उपाध्यक्ष श्रीमती माधुरी हलवासिया, श्रीमती ज्योत्सना हबीबुल्लाह सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

श्री नाईक ने 4 उदाहरणों का उल्लेख करते हुये बताया कि उन्हें अपने सामाजिक और राजनैतिक जीवन में महिलाओं के लिये कुछ करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि रेलराज्य मंत्री रहते हुये कामकाजी महिलाओं के लिये तीन महिला स्पेशल गाड़ियों की शुरूआत की तथा मच्छीमार महिलाओं को मछली लेकर जाते समय बैठने के लिये अलग से व्यवस्था की। पेट्रोलियम मंत्री के नाते धुंआ मुक्त रसोई उपलब्ध कराने की दृष्टि से एल0पी0जी0 कनेक्शन की प्रतीक्षा सूची समाप्त करायी तथा 4 करोड़ नये गैस कनेक्शन जारी कराये। स्तनपान प्रोत्साहन के लिये प्राईवेट मेम्बर बिल लाकर उसे कानून का रूप दिलाया। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच आगे बढ़ाती है इसलिये समाज को अपनी सोच बदलनी होगी।

राज्यपाल ने कहा कि समाज में महिलाओं का चित्र बदल रहा है। इस वर्ष के दीक्षान्त समारोह में कुल 12,78,985 विद्यार्थिंयों को विभिन्न पाठयक्रमों की उपाधियाँ वितरित की गई जिनमें से 7,14,764 अर्थात 56 प्रतिशत उपाधियाँ छात्राओं ने प्राप्त की। उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये 66 प्रतिशत पदक छात्राओं को मिले हैं। सम्पन्न हुये दीक्षांत समारोह में डाॅ0 भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में 85 प्रतिशत, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर 82 प्रतिशत तथा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी एवं छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में 81 प्रतिशत पदक छात्राओं द्वारा अर्जित किये गये हैं। उचित वातावरण और सही प्रोत्साहन मिलता है तो बेटियाँ स्वयं को सिद्ध कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में बेटियों को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक का मर्म समझाते हुये कहा कि निरन्तर आगे बढ़ने में सफलता मिलती है।

न्यायमूर्ति सुश्री श्रीदेवी ने कहा कि महिलाओं में कानूनी जागरूकता फैलाने के लिये लीगल सर्विसेज इंस्टीट्यूशन को माध्यम बनाने की आवश्यकता है। महिलाओं के छोटे-छोटे समूह बनाकर उन्हें टेªनिंग दें जिससे वे आगे जाकर जागरूकता उत्पन्न कर सके। उन्होंने महिलाओं में जागरूकता लाने के लिये सहयोग का आश्वासन भी दिया।

मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी ने कहा कि फिक्की एफ0एल0ओ0 द्वारा एडवोकेसी सेल की स्थापना प्रसन्नता का विषय है। समाज में महिलाओं की 50 प्रतिशत भागीदारी है। महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक गैर बराबरी एक समस्या है। सूचना का अधिकार एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी कदम है, जिससे बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता प्रकोष्ठ की सहायता से जहाँ जरूरतमंद महिलाओं को कानूनी सहायता मिलेगी वहीं दूसरी ओर समाज में एक अच्छा संदेश भी जायेगा। 

इस अवसर पर संस्था की अध्यक्ष श्रीमती रेनुका टण्डन ने राज्यपाल का स्वागत करते हुये उन्हें ‘ग्रीन सर्टिफिकेट’ और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती असमा हुसैन ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष श्रीमती माधुरी हलवासिया द्वारा दिया गया।

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