इण्डिया फूड एक्सपो-2019 के दौरान आयोजित फूड इण्डस्ट्री सेमीनार में 250 से अधिक डेलीगेटस उपस्थित हुये।


इण्डिया फूड एक्सपो-2019 के दूसरे दिन प्रदर्शनी में लगाये गये विभिन्न उत्पादों को देखने के लिये आज दूसरे दिन भारी भीड़ रही। एक्सपो में खासतौर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिये तकनीको, मशीनरी तथा नयी प्रकार के खाद्य पदार्थों के बारे में जानने के लिये आगन्तुको द्वारा खासी जिज्ञासा व्यक्त की गयी। रविवार 24 फरवरी 2019 इण्डिया फूड एक्सपो-2019 जो आई0आई0ए0 भवन विभूतिखण्ड गोमती नगर, लखनऊ (नजदीक सिनेपॉलिस) का अन्तिम दिन रहेगा और एक्सपो सायं 6 बजे बन्द हो जायेगा। इण्डिया फुड एक्सपो-2019 के साथ-साथ आज खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों पर एक सेमीनार का भी आयोजन किया गया जिसमें 250 से अधिक डेलीगेट्स ने भाग लिया। इस सेमीनार को देश एवं प्रदेश के जाने माने वैज्ञानिकों एवं उद्यमियों द्वारा सम्बोधित किया गया। डा0 एस0के0 चौहान, निदेशक, आरफेक लखनऊ ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगो की महत्ता आज बहुत बढ़ गयी है क्योकि जनता अब अपने भोजन में विटामिन, प्रोटीन तथा एक्टिव अवयवों के बारे में जागरूक हो रही है। इसके साथ-साथ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के बारे में भी जनता को विश्वास में लेना आवश्यक हो गया है। क्षेत्रिय फूड रिसर्च एण्ड एनालिसिस सेन्टर(आरफेक) लखनऊ में इसी प्रयोजन से स्थापित किया गया है जहाँ पर खाद्य पदार्थों की टेस्टिंग के अतिरिक्त प्रशिक्षण का भी आयोजन किया जाता है इस सेन्टर में आई0आई0ए0 सदस्यों एवं नये उद्यमियों को रियायती दरों पर परीक्षण सुविधाये प्रदान की जायेगी। डा0 पी0पी0 गोथवाल, निदेशक, सेन्ट्रल फूड टैक्नोलॉजी रिसर्च सेन्टर (सी0एफ0टी0आर0आई0) लखनऊ ने बताया कि सी0एफ0टी0आर0आई0 के पास 350 से अधिक खाद्य पदार्थों की टैक्नोलॉजी उपलब्ध है जो किसी भी उद्यमी द्वारा खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिये विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट के साथ दी जा सकती हैंइन प्रोजेक्ट्स को लगाने के लिये उद्यमियों को बैंकों से वित्तीय सहायता लेने में भी कठिनाई का सामना नही करना पड़ेगा। इन सभी टैक्नोलॉजी के बारे में डा0 गोथवाल ने प्रतिभागियों से विस्तार से जानकारी दी। उत्तर प्रदेश का देश में उत्पादित गेहूं का 31.7 प्रतिशत, सब्जियों का 30 प्रतिशत, फलों का 19 प्रतिशत, दालों का 14 प्रतिशत, दूघ एवं दूध से बने पदार्थों का 17 प्रतिशत तथा चावल का 13 प्रतिशत हिस्सा है। परन्तु प्रसंस्करण की क्षमता बहुत कम है जिसे बढ़ाने के लिये सी0एफ0टी0आर0आई0 हर सम्भव सहायता प्रदान करने के लिये तैयार है।


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