लखनऊ -भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने संत शिरोमणि रविदास जयंती को राजनीतिक कीचड़ उछालने के लिए प्रयोग करने पर बसपा सुप्रीमों मायावती को आडे़ हाथों लिया। डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि तिलक, तराजू और तलवार जैसे नारों से समाज में विष बेलों की फसल उगाने वाली मायावती जी उनकी फसल नष्ट होने व सबका साथ-सबका विकास की राजनीति से उलझन में है। मायावती जी को मंहगाई दिख रही है जबकि चर्चा है कि मंहगाई की मार सिर्फ बसपा का टिकिट खरीदने वालों पर पड़ रही है। डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप के दौर न तो संत रविदास जी की जयंती पर चलना चाहिए था और न ही आंतकी हमले पर। बसपा सुप्रीमों का यह बयान राजनैतिक, नैतिकता का पतन है।
प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि अपने जन्मदिन पर भीड़ एकत्र करके धर्नाजन करने वाली मायावती को रविदास जयंती के अवकाश पर खीज क्यों हो रही है? रविदास जयंती पर भारी मात्रा में लोगों के एकत्रित होने पर आखिर मायावती जी व्यथित क्यों है? संत रविदास जी के स्थल को सजाया संवारा गया है तो मायावती को पीड़ा क्यों हो रही है? अच्छा होता मायावती जी आज के दिन राजीतिक बयानबाजी से इतर संत रविदास जी के बताए मार्ग पर चलने का प्रण लेती। गरीबों-बंचितों की सेवा का प्रण लेकर गरीबों को मुख्यधारा में लाने के लिए मोदी जी द्वारा किये जा रहे भागीरथी प्रयास में अपना नैतिक सहयोग देती। गरीब को घर शौचालय, दवाई और सुरक्षा की चिंता से मुक्त करने के मोदी व योगी सरकार के गरीबों की आर्थिक समृद्धि और सामाजिक उत्थान के कार्यो में सहयोग देती।
डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि मायावती जी को राष्ट्रीय सुरक्षा के विषयों पर गम्भीरता का परिचय देना चाहिए। आंतकवादी हमले को राजनीति में नहीं खींचना चाहिए। सैनिक देश के होते है किसी राजनीतिक दल के नहीं। देश की 130 करोड़ जनता सेना के साथ खड़ी है तो ऐसे में राजनीतिक रोटियां नहीं सेकी जानी चाहिए। बसपा सुप्रीमों भी यह बात ठीक से जानती है कि मोदी सरकार आंतक और आंतकवादियों को ऐसा़ जबाब देगी जो पूरे विश्व में आंतक के खिलाफ संदेश होगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ