अरबी एवं फारसी भाषा में हुआ राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का लोकार्पण
राज्यपाल के रूप में वे सदैव अंत में बोलते हैं परन्तु आज प्रोटोकाल तोड़कर लेखक के रूप में बोल रहे हैं। इस्लामिक सेंटर में उनकी पुस्तक का लोकार्पण सोने में सुगंध जैसा है। कल उत्तर प्रदेश की राजधानी में लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी संस्करण का लोकार्पण किया है। मूल मराठी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का अरबी और फारसी में लोकार्पण महत्व का विषय है क्योंकि अब पुस्तक समुद्र पार कर अरब देशों में पहुंचेगी। भाषा जोड़ने का कार्य करती है। श्री नाईक ने कहा कि अटल जी की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रहते हुये रूस सहित अरब देशों में गया था पर अब पुस्तक से रिश्ता और करीब का हो गया है। प्रो0 अय्यूबी से पुस्तक का अरबी एवं फारसी अनुवाद कराया है। उन्होंने कहा कि वे एक्सीडेन्टल राइटर हैं।
उक्त विचार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज नई दिल्ली के इण्डिया इस्लामिक कल्चरल सेन्टर में पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के अरबी एवं फारसी संस्करण के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किये। लोकार्पण समारोह में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडे़कर, केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी की उपस्थिति में हुआ। लोकार्पण समारोह में मणिपुर की राज्यपाल श्रीमती नज़मा हेपतुल्ला, भारत में कुवैत के राजदूत श्री जसीम इब्राहिम, इरान कल्चर हाउस के काउंसलर डाॅ0 अली देगाही, पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश डाॅ0 अम्मार रिज़वी, अध्यक्ष इण्डिया इस्लामिक कल्चरल सेन्टर नई दिल्ली के अध्यक्ष श्री सिराजुद्दीन कुरैशी, सहित अनेक देशों के राजदूत एवं विशिष्टजन भी उपस्थित थे। पुस्तक का अरबी एवं फारसी भाषा में अनुवाद लखनऊ विश्वविद्यालय अरबी-फारसी विभाग के प्रो0 अय्यूबी द्वारा किया गया है।
श्री नाईक ने कहा कि उन्होंने मुंबई में कार्यकर्ता के रूप में सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन की शुरूआत की और वर्तमान में देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के राज्यपाल हैं। पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि 80 वर्ष से अधिक पुराने मराठी दैनिक समाचार पत्र सकाल ने महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों एवं केन्द्रीय मंत्रियों श्री शरद पवार, श्री सुशील कुमार शिंदे एवं श्री मनोहर जोशी के साथ उनसे अनुरोध किया कि अपने-अपने संस्मरण लिखें जो उनके समाचार पत्र के रविवारीय अंक में विशेष रूप से प्रकाशित होंगे। इस प्रकार एक वर्ष तक सीरीज चली। मित्रों एवं शुभचिंतकों के आग्रह पर समाचार पत्र में प्रकाशित लेखों का संकलन कर पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ की शक्ल दी। राज्यपाल ने कहा कि वे 3 बार विधायक एवं 5 बार सांसद रहे हैं। अन्य भाषी लोगों के अनुरोध पर मूल मराठी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ को अन्य भाषाओं में प्रकाशित करने का निर्णय लिया। आज अरबी एवं फारसी में लोकार्पण के पश्चात पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, संस्कृत एवं सिंधी सहित 9 भाषाओं में अनुवादित होकर प्रकाशित हुई हैं।
राज्यपाल ने कहा कि सदैव सकारात्मक ढंग से कार्य करना चाहिए। पुस्तक के माध्यम से यही संदेश पहुंचाने का मेरा प्रयास है। सत्ता पक्ष और विपक्ष को जनता के हित हेतु कार्य करना चाहिए। ‘अपोजिशन शुड हैव इट्स से एण्ड गवर्नमेंट शुड हैव इट्स वे।’ श्री नाईक ने कहा कि संसद में विपक्ष में रहते हुये किये गये 4 कार्य उन्हें बहुत समाधान देते हैं। देश की आजादी के 45 वर्ष बाद संसद में उनके प्रयास से ‘जन-गण-मन’ का गायन प्रारम्भ हुआ। सांसद निधि की शुरूआत कराना, मुंबई को उसका असली नाम दिलाना तथा शिशु आहार एवं स्तनपान विधेयक उनके प्रयास से संभव हुये हैं। श्री नाईक ने कहा कि मुंबई में प्रतिदिन 76 लाख लोग लोकल टेªन से सफर करते हैं। उन्होंने रेल मंत्री रहते हुये मुंबई में पहली महिला स्पेशल टेªन प्रारम्भ करवायी। पेट्रोलियम मंत्री रहते हुये देश में एल0पी0जी0 कनेक्शन की प्रतीक्षा सूची समाप्त कर 4 करोड़ लोगों को धुंआ मुक्त रसोई गैस उपलब्ध करायी तथा कारगिल युद्ध के 439 शहीदों के परिजन को पेट्रोल पम्प और गैस एजेन्सी सरकारी खर्चें पर दिलाये।
मणिपुर की राज्यपाल श्रीमती नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि श्री नाईक को जब कैंसर हुआ था तब से उनसे परिचय है। पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का उर्दू अनुवाद उन्होंने पढ़ा। श्री नाईक साहब को अलग-अलग मंचों पर एवं अन्य राजनैतिक पार्टियों के साथ सद्भावपूर्वक कार्य करते हुये देखा है। वे मानवता के लिये कार्य करते हैं। वे स्वयं एक संस्था हैं। श्री नाईक का जीवन इस बात का प्रमाण है कि विरोध का सामना करके हर समस्या का हल निकाला जा सकता है। श्री नाईक ने कैंसर जैसे रोग को भी हराया है। उन्होंने कहा कि सदन चलाने में सदैव श्री नाईक का सहयोग मिला था।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि श्री नाईक आज भी उसी स्फूर्ति से काम करते हैं जैसे उन्हें 71 में देखा था। वे सदैव कुछ नया करते है तथा समस्या का हल निकालने का प्रयास करते हैं। तारापुर परमाणु केन्द्र पर किया गया कार्य उनकी कार्यशैली की मिसाल है। उनका जीवन चरैवेति! चरैवेति!! की प्रतिमूर्ति है जो कभी न थकने का संदेश देता है। श्री नाईक यश की परवाह किये बगैर कार्य करते हैं। वे प्रतिवर्ष जनता के समक्ष अपना कार्यवृत्त प्रस्तुत करते हैं। यह राजनीति के क्षेत्र में काम करने वालों एवं नेतृत्व करने वालों के लिये एक सीख है। उन्होंने कहा कि श्री नाईक नियम, अनुशासन एवं ध्येय से काम करते हैं।
केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उन्होंने श्री नाईक साहब के साथ एक मंत्रालय में कार्य किया है। वे लोकप्रिय सांसद रहे हैं तथा सभी राजनैतिक दलों में उनकी स्वीकार्यता थी। श्री नाईक साहब का सामाजिक पक्ष बहुत मजबूत रहा है। समाज के कमजोर वर्ग से उनका सीधा संवाद रहा है। संस्मरणों पर आधारित पुस्तक मराठी भाषा से शुरू होकर दस भाषाओं तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि पुस्तक कहानी नहीं नाईक साहब के जीवन की हकीकत है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिज़वी ने कहा कि पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का दस भाषाओं में अनुवाद हुआ है। यह जिन्दगी का सबक है और रास्ता दिखाने वाली किताब है। जीवन में निरन्तर चलने से सफलता प्राप्त होती है। राज्यपाल राम नाईक को लेखक की हैसियत से कोई भुला नहीं सकता। उन्होंने कहा कि पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का अनुवाद संविधान की सभी भाषाओं में होना चाहिए।
लोकार्पण समारोह में कुवैत के राजदूत श्री जसीम इब्राहिम एवं इरान कल्चर हाउस के काउंसलर डाॅ0 अली देगाही ने अपने विचार रखते हुये कहा कि राज्यपाल श्री राम नाईक की किताब के अरबी और फारसी भाषा में प्रकाशित होने से ईरान और अरबी भाषी देशों के मध्य एक नया रिश्ता कायम हुआ है। इस अवसर पर इण्डिया इस्लामिक कल्चरल सेन्टर के अध्यक्ष श्री सिराजुद्दीन कुरैशी सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।
ज्ञातव्य है कि राज्यपाल श्री राम नाईक के मराठी भाषी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!‘ का विमोचन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा 25 अपै्रल, 2016 को मुंबई में किया गया था। राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती संस्करणों का लोकार्पण 9 नवम्बर 2016 को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में, 11 नवम्बर 2016 को लखनऊ के राजभवन में तथा 13 नवम्बर 2016 को मुंबई में हुआ। 26 मार्च 2018 को संस्कृत नगरी काशी में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के संस्कृत संस्करण का लोकार्पण किया गया। पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ अब तक 9 भाषाओं, मराठी, हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती, संस्कृत, सिंधी, अरबी एवं फारसी भाषा में प्रकाशित हो चुकी है। शीघ्र ही पुस्तक के जर्मन संस्करण में प्रकाशन के बाद पुस्तक 10 भाषाओं में उपलब्ध होगी।
टिप्पणियाँ