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अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार हर मोर्चे पर विफल है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार हर मोर्चे पर विफल है। प्रशासन पर उसका किंचित् नियंत्रण नहीं रह गया है। हर तरफ अराजकता और जंगलराज है। किसान, नौजवान सभी त्रस्त हैं। नागरिक भयभीत हैं क्योंकि उनकी सुरक्षा प्रशासन तंत्र से नहीं अपराधियों, माफिया गिरोहों की कृपा पर निर्भर हो गई है। मुख्यमंत्री जी ने शपथ लेते ही बड़े दावे किए थे कि अब अपराधी या तो जेल में होंगे या फिर प्रदेश छोड़कर चले जाएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि अब तो दूसरे राज्यों के अपराधी भी उत्तर प्रदेश को सुरक्षित पनाहगाह मानने लगे हैं। 

       अभी पिछले दिनों सतना से अगवा दो जुडवां स्कूली बच्चों की लाशें बांदा में मिली। यह हत्याकाण्ड उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का पर्दाफाश करता है। अपराधी गिरोह बेखौफ हैं, उन्हें कोई भय नहीं रह गया है। अपराधियों ने सतना से जुड़वां बच्चों श्रेयांस और प्रियांस का अपहरण किया और बांदा में लाकर उनकी हत्या कर दी। इससे जनता में भारी आक्रोश है। मासूम बच्चों की जानें गईं और एक परिवार का भविष्य उजड़ गया। 

       यह तो सरकारों की जिम्मेदारी है कि हर नागरिक को सुरक्षित रखे। दुःख है कि अब मां-बाप बच्चों को स्कूल भेजने से भी डरेंगे। देश की कानून व्यवस्था अब इससे ज्यादा और क्या बिगडे़गी? उत्तर प्रदेश में पहले से ही महिलाओं और बच्चियों की आबरू सुरक्षित नहीं है। इस जघन्य हत्याकाण्ड से पूरे प्रदेश में भय और आतंक व्याप्त है। 

      भाजपा सरकार की कुनीतियों के चलते न केवल लोग दहशत में हैं अपितु किसान भी अपने को अपमानित तथा ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। खेती का लागत मूल्य लगातार बढ़ रहा है। खाद, सिचांई, कीटनाशक सब मंहगे हैं और किसान उनकी खरीद में कर्जदार बनता जा रहा है। तंग आकर वह आत्महत्या कर रहा है। आज हमारा किसान बड़े पैमाने पर सरसों पैदा कर रहा है लेकिन सवाल यह है कि क्या उसे फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा? केन्द्र विदेशों से तेल मंगा रहा है तो प्रदेश का किसान क्या सही कीमत पाएगा? आलू किसान को कुछ नहीं मिला। मक्का किसान खरीद केन्द्र ढूंढता रह गया।

        विडम्बना है कि केन्द्र सरकार ने किसानों को 6 हजार रूपए प्रतिवर्ष मदद देने की जो घोषणा की है वह किसानों के साथ धोखा है। इस तरह तो किसान को 17 रूपए प्रतिदिन मिलेगा जबकि न्यूनतम मजदूरी 150 रूपए है। यह किसान के साथ छलावा और उसके सम्मान के साथ खिलवाड़ है। 

        भाजपा सरकारों की न तो प्रशासन और किसानों की आय बढ़ाने में कोई रूचि है और नहीं उसके पास विकास का कोई विजन है। जब तक देश की पाॅलिसी नहीं बनेगी तब तक खेती और खेती से जुड़े कारोबार से फायदा नहीं होगा। समाजवादी सरकार में किसानों और गांवों के हित में 75 प्रतिशत बजट रखा गया था। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए कामधेनु योजना थी, भाजपा ने उसे नहीं चलने दिया। मंडियों का काम भी रोक दिया गया।

        किसान देश का अन्नदाता है। वह सारे देश का पेट भरता है। किन्तु आज वह सरकार की नीतियों की वजह से कर्ज और सूद में जकड़ा हुआ है। अभी झांसी में एक किसान ने आत्महत्या कर ली। किसान का संकट राष्ट्रीय संकट है। इसका समाधान होना चाहिए। वैसे भी किसान अब भाजपा की नीति और नीयत से बखूबी वाकिफ हो चुका है। वह अब सन् 2019 के चुनावों तक चुप नहीं बैठेगा। वोट डालने का मौका आते ही वह अपने अपमान का ठीक से बदला लेगा।

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