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कहीं चुनावी झुनझुना न साबित हो जाये 10 प्रतिशत आरक्षण

लखनऊ/नौमान माजिद अल्वी । संसद में 10 प्रतिशत आरक्षण संबधित बिल पास किया गया यह संविधान संशोधन बिल जिसके तहत और आरक्षण का कोटा 10 फीसदी बढ़ा दिया गया पहले 495 प्रतिशत आरक्षण का कोटा जो अब बढ़ा कर 59. 5 प्रतिशत कर दिया गया है दरअसल पिछले लम्बे समय से सवर्ण जातियों के निर्धन परिवारों को भी आरक्षण का लाभ दिया जाए । तीन राज्यों में मिली हार से भाजपा तिलमिलाई हुई है और अपनी हार का कारण वह सवर्ण वोटरों की नाराज़गी मान रही है ऐसे में माना यह जा रहा है कि सरकार का यह कदम अपने सवर्ण वोटरों को फिर से आकर्षिक करने के लिए है । लेकिन आनन फानन में सरकार द्वारा लाया यह बिल असल में मानों में कई खामियों से भरा हुआ है सरकार यह बिल इतनी हड़बड़ी में लाई कि लोकसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन इसे सदन में पेश करने के पहले दो दिन पूर्व सदन को नोटिस दिया जाता है जबकि यह संविधान संशोधन बिल होने के बावजूद कोई भी नोटिस नहीं दिया गया है वहीं बिल की सबसे बड़ी कमी इसका भ्रामक प्रचार है । मंगलवार सुबह से ही सभी टीवी चैनलों की डिबेट में यह कहा गया कि यह 10 फीसदी आरक्षण गरीब सवर्ण को मिलेगा और सोशल मीडिया पर भी गरीब सवर्णो जाती रही है जैसे कि इसका लाभ केवल गरीब सवर्णो को जबकि सरकार जो बिल लाई है उसमें यह कहा गया है कि यह आरक्षण सभी धर्मों को मिलेगा जिसमें हिन्दू मुस्लिम, सिख शामिल हैं । यह आरक्षण उन सभी धर्म के मानने वालों को पहले के 49.5 प्रतिशत आरक्षण के दायरे में नहीं आती है यानि , एसटी और ओबीसी को छोड़कर सभी जातियाँ इस 10 प्रतिशत का लाभ ले सकेगी जिसमें ब्रहम्ण, ठाकुर के साथ साथ बनिया इत्यादि बहुत सी जातियाँ शमिल हैं । यही बात लोकसभा में बिल हुए सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कही और अरुण जेटली ने भी यही बात लोकसभा में दोहराई कि इस 10 लाभ सभी धर्मों की उन जातियों को मिल सेकगा जो पहले नहीं आती है। तो यी भ्रामक प्रचार क्यों किया जा रहा है कि आरक्षण का लाभ गरीब सवर्णो को मिलेगा । वहीं दूसरी सबसे है जो कि इस बिल में कही गई है बिल के मुताबि इस आरक्षण का लाभ उन लोगों को भी मिलेगा जिनकी आय सालाना लाख तक है और जिनके पास 5 एकड़ तक कृषि भूमि है हरस्यास्पद बात है 8 लाख सालाना आमदनी वाले को गरीब लगभग 70 हजार प्रतिमाह कमाने वाले को हम गरीब कैसे । जबकि इंकम टैक्स में छूट केवल 2.5 लाख तक की आय है । इसका मतलब हुआ कि 10 प्रतिशत आरक्षण में गरीबों अमीरों को शामिल कर लिया वह अमीर जो 8 लाख रुपया रहा है उसका बेटा या बेटी भी इन 10 फीसदी आरक्षण का वह गरीब जो सालाना एक लाख या दो लाख कमा रहा है य बेटी भी इस 10 प्रतिशत आरक्षण का पात्र है ऐसे में गरीबों खुला डाका पड़ेगा । तो फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए है जबकि पांच एकड़ जमीन भी इस आरक्षण का हकदार होगा


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