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साल में केवल 1 बार लगातार 5 साल तक फाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से इस रोग से हमेशा के लिए सुरक्षित रह सकते हैं – डॉ. आर. पी. सिंह सुमन, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तर प्रदेश

 


लखनऊ – 8 फरवरी, 2025 – फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने हेतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज द्वारा समन्वय स्थापित करते हुए मीडिया सहयोगियों के साथ आज लखनऊ में संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तर प्रदेश, डॉ. आर. पी. सिंह सुमन  ने बताया  कि आगामी 10 फरवरी से प्रदेश के 14 जनपदों के 45 चिन्हित ब्लॉकों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है जिनमें से 8 जनपदों बलिया (ब्लॉक-नगरा और पंदह), हमीरपुर (ब्लॉक-हमीरपुर और मौदहा), जालौन (ब्लॉक-डकोर), जौनपुर (ब्लॉक-बदलापुर), पीलीभीत (ब्लॉक-बिलसंडा और पूरनपुर), शाहजहांपुर (ब्लॉक-भावलखेडा, जलालाबाद, तिलहर, मिर्जापुर और शाहजहाँपुर शहर), सोनभद्र (ब्लॉक-चतरा, दुद्धी, ककराही और घोरावल) और चित्रकूट (ब्लॉक-सीएचसी मऊ और रामनगर) में 19 ब्लाक में दो दवा यानी डीईसी और अल्बेंडाजोल के साथ तथा 6 जनपदों लखनऊ (ब्लॉक-गोसाईगंज), उन्नाव (ब्लॉक-औरास, अचलगंज, बाँगरमऊ, बिछिया, फतेहपुर चैरासी और हसनगंज), अमेठी (ब्लॉक-जामो और मुसाफिरखाना), बरेली (ब्लॉक-भमोरा, फरीदपुर और क्यारा), प्रयागराज (ब्लॉक-हंडिया, कौड़ीहार, कोरॉव, प्रतापपुर और सैदाबाद) और बाराबंकी (ब्लॉक-दरियाबाद, देवा, फतेहपुर, जाटाबरौली, बनीकोडर, रामनगर, हरख, सिद्धौर और बाराबंकी शहरी) के 26 ब्लाक में तीन दवा यानी डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया जाएगा I 
 

समुदाय को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से सुरक्षित रखने के लिए शुरू किये जा रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के दौरान यह सुनिश्चित किया जायेगा कि सभी पात्र लाभार्थी, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही करें। किसी भी दशा में दवाओं का वितरण नहीं किया जायेगा । उन्होंने यह भी बताया कि यदि समुदाय के सभी लोग 5 साल तक लगातार साल में केवल 1 बार फाइलेरिया रोधी दवाओं  का सेवन करे तो फाइलेरिया रोग से हमेशा के लिए सुरक्षित रहा जा सकता है ।
 

मीडिया से संवाद के दौरान डॉ. सुमन ने कहा कि जन-मानस तक किसी भी सन्देश को प्रभावशाली ढंग से पहुंचाने में मीडिया सहयोगी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । उन्होंने उपस्थित मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया  कि वे लोगों तक फाइलेरिया रोधी दवाओं के महत्व को इस तरह से प्रेषित करें कि लोग इससे प्रेरित होकर दवाईयों का सेवन स्वयं करें, अपने परिवारजनों को करवाएं और आस-पास के लोगों को भी इन दवाओं का सेवन स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही सुनिश्चित करवाएं। ये दवाएं खाली पेट नहीं खानी  हैं ।
 
अपर निदेशक मलेरिया एवं वी.बी.डी. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश, डॉ. ए. के. चौधरी ने बताया कि एमडीए के  दौरान 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी और अल्बेंडाजोल गोली को चबा के खानी हैं। उन्होंने बताया कि आगामी 10 फरवरी  से शुरू होने वाले एमडीए कार्यक्रम में कुल 8816 टीमें बनाई गयी हैं जिनके माध्यम से लगभग 1 करोड़ 10  लाख  पात्र लाभार्थियों  को फाइलेरिया रोधी दवाएं स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खिलवायी जायेंगी। 
 
डॉ. चौधरी ने बताया कि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम द्वारा लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं हाइड्रोसील के मरीजो का  समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह शुभ संकेत है क्योंकि ऐसा होना इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में  फाइलेरिया के परजीवी  मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद परजीवियों  के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। कार्यक्रम के दौरान किसी लाभार्थी को दवा सेवन के पश्चात किसी प्रकार की कोई कठिनाई प्रतीत होती है तो उससे  निपटने के लिए हर ब्लॉक में  रैपिड रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी। 
निदेशक संचारी रोग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश डॉ. मधु मधु गैरोला ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है।
वरुण प्रताप सिंह, उप महाब्रबंधक आईईसी प्रभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश ने मीडिया से परिचर्चा के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि  मीडिया की भूमिका , सरकार द्वारा चलाये जा रहे, समस्त कार्यक्रम के सफल किर्यान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया गया कि वे आगामी 10 फरवरी  होने  शुरू ने वाले एमडीए अभियान के दौरान, समाचारों और मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा खाने के लिए जागरूक करें।
ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के सीनियर मैनेजर दीपक मिश्रा ने कहा कि इस रोग से पीड़ित व्यक्ति जीवन भर अपनी आजीविका कमाने में और दूसरे सामजिक कार्य करने में अक्षम होता जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि, सरकार द्वारा चलाये जा रहे हर कार्यक्रम में मीडिया सहयोगियों का उल्लेखनीय योगदान रहता है, और इनके माध्यम से लोगों तक सही और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचती है। उन्होंने उपस्थित मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि फाइलेरिया जैसे गंभीर रोग से समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए.) कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दें।
मीडिया सहयोगियों के साथ प्रश्न-उत्तर सत्र भी संपन्न किया गया। इस सत्र में इस बात पर भी चर्चा की गयी कि फाइलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता से फैलती है। मीडिया सहयोगियों से यह भी अनुरोध किया गया कि जिलों से फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित मरीजों की मानवीय दृष्टिकोण से दर्शाती हुई कहानियां प्रकाशित करने से समुदाय को इस रोग की गंभीरता देखकर, स्वयं को और अपने परिवार को इससे सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलेगी।
इस अवसर पर स्थानीय मीडिया सहयोगियों के अलावा डॉ तनुज शर्मा विश्व स्वास्थ्य संगठन, डॉ शोएब अनवर पाथ , ध्रुव सिंह प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, रंजना द्विवेदी सीफार एवं फ़िरोज़ आलम ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।

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