।अशफाक कायमखानी।
सीकर।
पिछले दिनो जयपुर मे पत्रकारों द्वारा पुछे गये सवाल के जवाब मे दांतारामगढ़ विधायक वीरेन्द्र सिंह द्वारा प्रदेश कार्यकारिणी का विस्तार ना होने के अलावा जिला व ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति अभी तक नही होने पर चिंता जाहिर करने के बाद पार्टी हाईकमान द्वारा प्रभारियों के मार्फत सीधे तीन नामो का पैनल मांगने व प्रभारी राष्ट्रीय महामंत्री अजय माकन की जयपुर यात्रा के बाद सीकर जिले के अध्यक्ष के नाम को लेकर काफी चर्चा होना देखा जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सीधे तौर पर इस पद पर किसी की पैरवी करते दिखाई नही दे रहे है। लेकिन राजनीतिक हलको मे चर्चा है कि डोटासरा पी.एस जाट को फिर से अध्यक्ष के रुप मे देखना चाहते है। अगर जाट पर आम सहमति ना बने तो वो अल्पसंख्यक के तौर पर एक वर्तमान विधायक का नाम आगे बढा सकते है। जबकि वो विधायक प्रदेश पदाधिकारी होने के कारण जिलाध्यक्ष पद से दूर रहना चाहते है।
सीकर जिले के सात कांग्रेस विधायक व लोकसभा व खण्डेला विधानसभा मे उमीदवार रहे महरिया व मील मे से अधीकांश लोग चोधरी नारायण सिंह के पसंद के नाम पर सहमति जताते नजर आ रहे है। चोधरी नारायण सिंह खेमे के साथ दांतारामगढ़ विधायक वीरेन्द्र सिंह, श्रीमाधोपुर विधायक दीपेंद्र सिंह , नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी व धोद विधायक परशराम मोरदिया के अलावा खण्डेला से विधानसभा उम्मीदवार रहे सुभाष मील की सहमति बताई जा रही है। सीकर शहर विधायक राजेंद्र पारीक हमेशा से इस पचड़े मे ना पड़कर वो केवल अपने ब्लॉक संगठन अध्यक्ष पद पर फोकस करते आये है। पर डोटासरा व पारीक के राजनीतिक रिस्ते जगजाहिर है। अल्पसंख्यक विधायक भी प्रदेश पदाधिकारी बने रहना चाहते है। उनके डोटासरा से मधुर राजनीतिक सम्बंध होने के बावजूद वो अभी तक चोधरी नारायण सिंह खेमे द्वारा सुझाये नाम के खिलाफ जाने को तैयार नही है। इस मामले मे लोकसभा उम्मीदवार रहे सुभाष महरिया की सिफारिश को भी अहमियत मिल सकती है। लेकिन उन्होंने अभी तक अपने पत्ते साफतौर पर जाहिर नही किये है।
कुल मिलाकर यह है कि जिलाध्यक्ष के मनोनयन को लेकर चल रहे नामो को लेकर कोई बडा उलटफेर नही हुवा तो चोधरी नारायण सिंह खेमे द्वारा सुझाये नाम राजेन्द्र शर्मा के नाम पर आसानी से मुहर लग सकती है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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