सीकर की तरक्की मे मजबूत राजनीतिक नेतृत्व नही मिलना रोड़ा रहा या फिर जनता की उदासीनता?


सीकर।
            राज्य व राष्ट्रीय राजनीति मे मुख्यमंत्री, उप प्रधानमंत्री से लेकर संविधान का सर्वोच्च पद राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के अतिरिक्त राज्य व केन्द्र सरकार की केबिनेट मे सीकर का अक्सर प्रतिनिधित्व रहने के बावजूद सीकर को राष्ट्र के अन्य हिस्सों की तरह तरक्की की उस राह की पटरी पर दोड़ाया नही जा सका जिसकी सम्भावना बनती रही है। 
          सीकर जिले मे सलेदीपुरा खाद कारखाना, नहर के पानी से सिंचाई होना, उधोगिक क्रांति व क्षेत्र का विकास होना, सीकर स्टेशन का देश के अन्य प्रमुख शहरो से ट्रेन का सीधा जुड़ाव होना व चिकित्सा क्षेत्र मे उपलब्धि हासिल करने का जो सपना आजादी के बाद लोकतंत्र की स्थापना की शुरुआत से देखे थे वो सभी सपने आज भी जनता के सामने ज्यो के त्यो बने हुये है।
           . सीकर की बहु प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति व सीकर के बेटे भैरोसिंह शेखावत उपराष्ट्रपति व तीन दफा राज्य के मुख्यमंत्री रहे। सीकर के तत्तकालीन सांसद चोधरी देवीलाल भारत के उप प्रधानमंत्री व चोधरी बलराम जाखड़ केंद्र मे पावरफुल मंत्री व स्पीकर रहे। सीकर से लोकसभा मे प्रतिनिधित्व करने वाले सुभाष महरिया व महादेव सिंह भी केंद्र मे मंत्री रह चुके है। इसी तरह राज्य सरकार की केबिनेट मे भी सीकर का मजबूत प्रतिनिधित्व चला आ रहा है। लेकिन क्षेत्र की जनता ने आजादी के बाद जो विकास का सपना देखा था उसमे शायद आज भी कोई बदलाव नही आया है।
              जिले का जल स्तर नीचें से नीचे जाते चले जाने के कारण किसान खेती की उपज ठीक से नही ले पा रहा है ओर दूसरी तरफ पीने के पानी की समस्या भी गर्मी के दिनो मे आम हो चुकी है। जिले का अधीकांश क्षेत्र डार्कजोन हो चुका है। राजनेताओं द्वारा अक्सर नहर का पानी लाकर किसानों को सिंचाई करके अधिक उपज लेने का दिलासा आज भी पहले की तरह दिया जा रहा है।
              1984 मे देश के तत्कालीन समय के कद्वावर नेता चोधरी बलराम जाखड़ जब सीकर लोकसभा चुनाव लड़ने आये तब मतदाताओं ने उनकी संतरो (किन्नू) व अंगूर के खेत खेत बाग लगाने व रेल व क्रषि क्षेत्र मे सीकर को नई पहचान देने के वादे पर भरोसा जताया ओर उनके मुकाबले पेट के लाल के दुत्कार कर गोद के लाल को अपना कर उनको जीता कर संसद मे भेजा। लेकिन परिणाम वोही ढाक के तीन पात। इसी तरह पर 1989 मे चोधरी बलराम जाखड़ द्वारा वादे पर खरा नही उतरने की उनको हरा कर सजा देते हुये दिग्गज किसान नेता चोधरी देवीलाल पर भरोसा जताते हुये उन्हें सीकर का सांसद बनाकर दिल्ली भेजा।चोधरी देवीलाल  केंद्र सरकार मे उप प्रधानमंत्री बने ओर क्रषि विभाग का जिम्मा पाया। लेकिन समय से पूर्व उनके जनता दल की सरकार गिर कर बिखर गई ओर जनता मुहं ताकती रह गई।
           सीकर के जाये जन्मे भैरोंसिंह शेखावत 1977 मे राजस्थान के पहली दफा गैर कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बने तब अपने कार्यकाल मे सीकर शहर मे ओधोगिक क्षेत्र कायम किया एवं फेक्ट्रीया शुरु हुई तो लगा कि सीकर मे ओधोगिक क्रांति आयेगी। लोगो को रोजगार मिलेगा ओर सीकर को एक अलग पहचान मिलेगी। लेकिन उसके बाद आज तक ओधोगिक क्षेत्र एक इंच भी आगे बढा नही। साथ ही अधीकांश फेक्ट्री मे आज काम बंद हो गये ओर उनको फेक्ट्री मालिको ने अपने आवास बना लिये है। सीकर शहर के तत्तकालीन विधायक राजेन्द्र पारिक के राज्य केबिनेट मे उधोग मंत्री बनने से सीकर ओधोगिक क्षेत्र को कुछ उम्मीद बंधी थी। लेकिन इसके बाद भी सीकर के ओधोगिक फिल्ड मे रत्ती भर भी बदलाव नही आ पाने से जनता ने फिर उदासीनता की चादर ओढ ली।
             लोकसभा मे सीकर का प्रतिनिधित्व करने वालो मे चोधरी बलराम जाखड़, चोधरी देवीलाल, सुभाष महरिया व महादेव सिंह ने केन्द्रीय मंत्रीमंडल मे जगह तो जरूर पाई लेकिन सुभाष महरिया द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना मे खूब कार्य करवाने के अतिरिक्त बाकी अन्य कोई मंत्री रहते उपलब्धि वाला कार्य नही कर पाये।
          भारत के सबसे आखिर मे सीकर स्टेशन का गेज परिवर्तन होकर ब्रोडगेज लाईन का रुप धारण किया। लेकिन आज तक भारत के प्रमुख शहरो के लिये सीकर का जुड़ाव नही हो पाया है। जनता सीकर स्टेशन से देश के पंगाल, आसाम ,महाराष्ट्र व गुजरात जैसे कुछ स्टेट व उनकी राजधानी से सीधा ट्रेन से जुड़ाव की तलबगार बनी हुई है। चिकित्सा क्षेत्र मे खास उपलब्धि नही मिल पाई है। आजतक मेडिकल कालेज तक चालू नही हो पाया है। ऐम्स की शाखा तक स्थापित नही होना पीड़ादायक बना हुवा है। जिले का अधीकांश इलाका डार्कजोन बनने से व नहर का पानी नही आने से किसान खून के आंसू बहाने पर मजबूर है। ओधोगिक क्षेत्र मे रत्ती भर भी बदलाव नही आया। सलेदीपुरा सहित अन्य किसी तरह का खाद कारखाना शुरू नही हो पाया है।
           हालांकि किसान बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले सीएलसी निदेशक श्रवण चोधरी सहित अनेक किसान  युवाओं ने शहर मे कोचिंग शुरु करके भारत भर मे सीकर को अलग पहचान दिलाई है। वही किसान युवाओं ने जगह जगह स्कूल व कोलेज शुरु करके शैक्षणिक तौर पर जिले मे बदलाव लाकर हर क्षेत्र मे सीकर की भागीदारी तय की है।
               सीकर के विकास के लिये केवल राजनेताओं को ही जिम्मेदार ठहराना उचित नही होगा। राजनेताओं पर दवाब मे लेकर सरकार को झुका कर अपनी मांग मंगवाने के लिये जोरदार आंदोलन छेड़ने मे जनता हमेशा उदासीन रही है एवं रहती चली आ रही है।
                   कुल मिलाकर यह है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री के अलावा केंद्र व राज्य सरकार की केबिनेट मे सीकर का अक्सर प्रतिनिधित्व रहता चला आ रहा है। लेकिन सीकर की आवश्यक समस्याएं आज भी पहले की तरह मुहं बाये ज्यो की त्यो खड़ी हुई है।


टिप्पणियाँ