जयपुर।
राजस्थान से 26-मार्च को तीन राज्य सभा सदस्यों के चुनाव मे मतदान होने से पहले स्थगित हो जाने के बाद अब मई आखिर मे मतदान की तिथि की आने की सम्भावना जताई जा रही है। जबकि तीन सीटो के लिए होने वाले उक्त चुनाव मे दो कांग्रेस के व दो भाजपा की तरफ से उम्मीदवार के अपने पर्चे दाखिल कर चुकने के बाद पर्चा वापिस लेने का समय गुजर चुका था। अब मात्र सदस्य चुनने के लिए मतदान होना बाकी है। इसी के साथ खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री स्तर पर होने वाली अधीकांश राजनीतिक नियुक्तियों पर होम वर्क पुरा कर लिया बताते है। इन नियुक्तियों मे सभी तरह के संवेधानिक पदो पर होने वाली राजनीतिक नियुक्तियों की घोषणा राज्य सभा चुनाव के तूरंत बाद की जा सकती है। जबकि समाज कल्याण विभाग के सम्बंधित कुछ नियुक्तियों के आदेश लोकडाऊन मे भी जारी हो चुके है।
आने वाली खबरो के मुताबिक राजस्थान लोकसेवा आयोग के रिक्त चल रहे चार सदस्यों पर नियुक्ति के अलावा राज्य मानवाधिकार आयोग, लोकायुक्त, महिला आयोग, राज्य पुलिस जवाबदेय समिति, अल्पसंख्यक आयोग, सूचना आयुक्तों सहित कुछ अन्य संवैधानिक पदो पर नियुक्तियों के आदेश जारी हो सकते है। संवैधानिक पदो पर नियुक्तियों के बाद अन्य राजनीतिक नियुक्तियों का सीलसीला जारी होगा जिसमे बोर्ड-निगम-आयोग व समितियों के गठन होगा।
कुल मिलाकर यह है कि कोराना महमारी व लोकडाऊन के मध्य राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिये एक अच्छी खबर निकल कर आ रही है कि राजस्थान मे जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा खुलने वाला है। खबरो के मुताबिक अधीकांश पदो पर होमवर्क मुकम्मल कर लिया बताते है। समय अनुसार नियुक्तियों की घोषणा का सीलसील जारी होगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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