लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार लोकतंत्र की समस्त मान्यताओं की विरोधी साबित हो रही है। संविधान नागरिकों को विरोध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है उसका तिरस्कार करने में भी भाजपा को कतई संकोच नहीं है। पूरे देश में सीएए, एनआरसी और एनपीआर, के विरोध में जन आक्रोश उमड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है।
राजधानी में 17 जनवरी 2020 से घंटाघर पर महिलाएं भाजपा की अलोतांत्रिक रीति-नीति के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रही है। आज भी उनका धरना जारी है। अंतर्राष्ट्रीयस्तर पर आज 8 मार्च को महिला दिवस भी है। इस दिन नारी के मान सम्मान की रक्षा के लिए संकल्प लिया जाता है। लेकिन भाजपा को नारी सम्मान से क्या वास्ता। कितने दुःख की बात है कि 23 फरवरी 2020 की रात ठण्ड की मार से डालीगंज की सुश्री तैयब्बा पुत्री श्री फखरूद्दीन ने दम तोड़ दिया था। 7 मार्च 2020 की रात तहसीनगंज की श्रीमती फरीदा (पति श्री साकिर अली) की भी मौत हो गई। उनके पीड़ित परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना है।
जिस बहादुरी से कड़कड़ाती ठण्ड और ओलों की बरसात के बीच पूरी-पूरी रात और दिन भर केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में पुलिस उत्पीड़न का मुकाबला करते हुए महिलाएं धरना-आंदोलन जारी रखे हैं, वह इतिहास की अनोखा घटना है। ऐसा पहली बार हुआ है जब देशभर में सरकारी नीतियों का विरोध व्यापक स्तर पर महिलाओं के समूह द्वारा किया जा रहा है।
सीएए, एनआरसी और एनपीआर लोकतांत्रिक अधिकारों पर वज्रपात के समान है। आंदोलनकारियों का उत्पीड़न, अत्याचार और अपमानित करना भाजपा अपना अधिकार समझती है। जनता के विरोध को उसने अपनी सत्ता का विरोध समझ लिया है। भाजपा बदले की भावना, द्वेष और नफरत में अंधी हो चुकी है। भाजपा के अहंकार और हठधर्मिता को सबक सिखाने को जनता तत्पर है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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