अमेरिका तालिबान शांति समझौते से भारत को इस्लामिक चरमपंथ का करना पड़ सकता है सामना : माकपा

नयी दिल्ली, :: माकपा ने अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में शांति बहाली के मकसद से किए गए समझौते को एकपक्षीय बताते हुए कहा है कि इससे भारत को ‘इस्लामिक चरमपंथ’ की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।


माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में प्रकाशित संपादकीय लेख में पार्टी ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए दोहा में अमेरिका द्वारा तालिबान के साथ किया गया समझौता एकपक्षीय है।


पार्टी ने इस समझौते के प्रति भारत के समर्थन को सारहीन प्रतीकात्मक कार्रवाई बताते हुये कहा कि अफगानिस्तान संबंधी मामलों की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान के होने के कारण इस समझौते की वजह से समूचे क्षेत्र में एक इस्लामिक चरमपंथी गतिविधियों का खतरा उत्पन्न हुआ है। इससे भारत को अस्थिर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।


उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ 18 साल से जारी अमेरिकी युद्ध की समाप्ति के लिए गत 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर दोहा में हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत अमरेकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के एवज में तालिबान ने अफगानिस्तान की धरती को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने देने की गारंटी दी है।


माकपा ने इस समझौते को भारत अमेरिका रणनीतिक समझौते के संदर्भ में भारत के हितों के विपरीत बताया। पार्टी ने कहा कि अमेरिका ने इस मामले में भारत के हितों और संवेदनाओं को बिल्कुल ख्याल नहीं रखा। 


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