नयी दिल्ली, : साल के आखिरी महीने का 11वां दिन कई मशहूर लोगों के जन्मदिन के तौर पर इतिहास में दर्ज है। इनमें खिलाड़ियों से लेकर अभिनेता और आध्यात्मिक गुरू शामिल हैं।
बचपन से ही शतरंज के मोहरों की चाल पहचानने वाले विश्वनाथन आनंद 11 दिसंबर 1969 को मद्रास (अब चेन्नई) में पैदा हुए थे। हिंदी सिनेमा के सदाबहार अभिनेता दिलीप कुमार का जन्म भी 1922 में 11 दिसंबर को ही हुआ था। आचार्य रजनीश 'ओशो' का जन्मदिन 11 दिसंबर 1931 है और देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म भी 11 दिसंबर के दिन हुआ था। वह 1935 में बंगाल (अब पश्चिम बंगाल) में पैदा हुए।
ये सूची अभी खत्म नहीं हुई है। साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले मिस्र के उपन्यासकार नाकिब महफूज भी 11 दिसंबर को ही इस दुनिया में आए थे। वह नोबेल जीतने वाले पहले अरबी लेखक बने।
देश दुनिया के इतिहास में 11 दिसंबर की तारीख में दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:- 1845 : पहला आंग्ल सिख युद्ध भड़का।
1911 : मिस्र के उपन्यासकार नाकिब महफूज का जन्म। वह साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले अरबी लेखक बने।
1922 : हिंदी सिनेमा के हरदिल अजीज अभिनेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य दिलीप कुमार का जन्म। उनका वास्तविक नाम 'मोहम्मद युसूफ़ ख़ान' है।
1931 : आध्यात्मिक गुरु रजनीश, जो अपने अनुयाइयों में आचार्य रजनीश और ओशो के नाम से प्रसिद्ध थे, का जन्म। हालांकि उनका वास्तविक नाम चंद्र मोहन जैन था।
1935 : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म।
1936 : अमेरिका की एक तलाकशुदा महिला से विवाह की इच्छा पूरी नहीं होने पर ब्रिटेन के एडवर्ड अष्टम ने स्वेच्छा से तख्तो-ताज छोड़ दिया।
1941 : जर्मनी और इटली ने अमेरिका के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इटली के शासक बेनिटो मुसोलिनी ने पहले और उनके बाद जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने यह घोषणा की 1946 : बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण और पोषण के लिए संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत यूनिसेफ की स्थापना।
1946 : राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया। 1969 : शतरंज के महारथी विश्वनाथन आनंद का जन्म। उन्होंने 2000, 2007, 2008, 2010 और 2012 में शतरंज की विश्व चैंपियनशिप जीती।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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