राजस्थान मे मंत्रीमंडल विस्तार का शगूफा विधायको की एकता कायम रख पायेगा ?

जयपुर।
                राजस्थान विधानसभा के जारी बजट सत्र मे कांग्रेस के अनेक विधायको द्वारा अपनी ही सरकार को कठघरे मे खड़ा करने से विचलित हुक्मरान ने इसी माह होने वाले राज्यसभा चुनाव मे विधायको की एकजुटता बनाये रखने के लिये जल्द ही मंत्रीमंडल का विस्तार होने का उनके समर्थकों द्वारा शगूफा छोड़ने की कोशिश कितनी कामयाब होती है वो अलग बात है।लेकिन उक्त शगूफे को राजस्थान की जनता बडे हल्के मे ले रही है।
            राजस्थान विधानसभा मे कांग्रेस के 101 विधायकों के अलावा बाराह निर्दलीय व छ बसपा से कांग्रेस मे आये एवं एक लोकदल के.विधायक सहित कुल 122 विधायको का समर्थन गहलोत सरकार को है। इसके अतिरिक्त दो माकपा व दो भारतीय ट्राईबल पार्टी के विधायको का भी भाजपा के वैचारिक मेल नही खाने से वो अंततः कांग्रेस के साथ ही आते नजर आते है। चालू विधानसभा सत्र मे सरकार सरकार को समर्थन देने वाले ही विधायको द्वारा ही सरकार को विधानसभा सत्र के हर दिन कठघरे मे खड़ा करने से सत्ता के शीर्ष पर बैठे हुक्मरान की नींद मे खलल पड़ने को ठण्डा करने के लिये अचानक मुख्यमंत्री गहलोत राज्यपाल से मिलने जाते है ओर पीछे कांग्रेस का एक धड़ा मंत्रीमंडल विस्तार का शगूफा छोड़कर नई चाल चल देता है।
            राजस्थान राज्य बजट मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मुस्लिम समुदाय के हित के वो प्रस्ताव जिनको कांग्रेस घोषणा पत्र मे रखा गया था उनके सम्बंधित बजट मे किसी तरह का प्रस्ताव नही रखने व मदरसा शिक्षा सहयोगियों का मानदेय नही बढाने को लेकर मुस्लिम विधायको ने अपनी ही सरकार को विधानसभा मे कठघरे मे खड़ा किया। पूर्व मंत्री व विपक्ष के नेता रहे हेमाराम, पूर्व मंत्री आमीन खान, विधायक हरीश मीना सहित अनेक विधायको ने अपनी ही सरकार पर सदन मे सवाल उठाने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत की कार्यशैली पर सवाल उठने लगने के बाद अचानक गहलोत राज्यपाल से मिलने जाते है ओर पीछे से एक धड़ा मंत्रीमंडल विस्तार का शगूफा छोड़कर सम्भावित मंत्रियों के नाम भी सोशल मीडिया पर उछाले जाते है।
        राजस्थान मे 26-मार्च को राज्यसभा के तीन सदस्यों का चुनाव होना है। कांग्रेस व निर्दलीय विधायको के एकजुट रहने पर कांग्रेस दो सीट आसानी से जीत सकती है। इसमे अगर गड़बड़ होती है तो कांग्रेस की दूसरी सीट के लिये खतरा पैदा हो जाने के डर से राज्यसभा चुनाव जीतने के लिये विधायको मे एकजुटता बनाये रखने के लिये मंत्रीमंडल विस्तार का शगूफा छोड़ा जाना बताया जा रहा है।


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