जन सामान्य को फोर्टीफाइड उत्पाद के सम्बन्ध में जागरूक बनाने के साथ ही विषिश्ट अभियान


लखनऊः कान्फेडरेशन आफ इण्डियन इण्डस्ट्री द्वारा थ्थ्त्ब् और ळ।प्छ के  संयुक्त सौजन्य से खाद्य पदार्थो में फोर्टिफिकेषन की बढ़ोत्तरी हेतु ;ैबंसपदह व िथ्ववक थ्वतजपपिबंजपवदद्ध नार्थ जोनल कांफे्रस दिनांक 13.02.2019 को लखनऊ में आयोजित की गयी। इस कांफे्रस का उद्घाटन व इनाआॅगरल सम्बोधन अपर मुख्य सचिव, खाद्य सुरक्षा एवं औशधि प्रषासन विभाग डा0 अनिता भटनागर जैन द्वारा किया गया।

विचार-विमर्ष का मुख्य बिन्दु यह था कि अधिक दोहन के कारण अब मृदा ;ैवपसद्ध में पर्याप्त माइक्रोन्यूटेªंट उपलब्ध नहीं हैं जिसकेे कारण अनेक खाद्य पदार्थो में माइक्रोन्यूटेªंट को अलग से फोर्टिफिकेषन की प्रक्रिया के माध्यम से जोड़ने की आवष्यकता है। एफएसएसएआई, भारत सरकार के द्वारा वर्तमान में दूध, तेल, नमक, गेहूँ का आटा, चावल इन 05 स्टेपिल को फोर्टीफाई करने के सम्बन्ध में 2016 में निर्देष जारी किये गये हैं।

अनेक वक्ताओं के द्वारा यह अवगत कराया गया कि फोर्टिफिकेषन की प्रक्रिया में बहुत कम अतिरिक्त धनराषि लगती है जिसका अतिरिक्त मूल्य प्रति लीटर अथवा प्रति किलो में कुछ पैसों में आता है, जोकि पूर्णतया नगण्य है। वर्तमान में विष्व के 02 बिलियन लोगों में एक तिहाई लोग जिन्हें विटामिन-डी माइक्रोन्यूटेªंट की कमी है जिससे कि हिडेन हंगर भी कहते हैं, वह भारत में है। राश्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में 50ः  से भी अधिक महिलायें व बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। इसी तरह बड़ी संख्या में लोग विटामिन-डी की कमी एवं उससे होने वाली बीमारियों से ग्रस्त हैं। ऐसी स्थिति में सूक्ष्म पोशक तत्वों की कमी को दूर करने के लिये खाद्य सुदृढ़ीकरण/फूड फोर्टिफिकेषन एक बहुत ही प्रभावी रणनीति है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में 12 सप्ताह की अवधि में फोर्टिफाइड दूध की आपूर्ति से विटामिन-डी का प्रतिषत 12 प्रतिषत से 81 प्रतिषत (1000आईयू) और 4.93 प्रतिषत से 69.95 प्रतिषत (600आईयू) तक बढ़ गया है। साथ ही डायरिया, निमोनिया, तेज बुखार और गम्भीर बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आयी है।

अपर मुख्य सचिव द्वारा अपने उद्घाट्न सम्बोधन में यह अवगत कराया गया कि उत्तर प्रदेष में खाद्य पदार्थो के फोर्टिफिकेषन हेतु विभिन्न विभागों द्वारा विषेश प्रयास किये जा रहे हैं। जनवरी माह में भारत सरकार, एफएसएसएआई द्वारा नामित संस्था के0एच0पी0टी0 के साथ खाद्य सुरक्षा विभाग, पी0डी0एस0, आई0सी0डी0एस0, एवं एम0डी0एम0 के सम्बन्ध में प्रदेष में प्रथम राउण्ड टेबिल परिचर्चा आयोजित की गयीं

प्रदेष में दूध के 07, तेल के 07, फोर्टीफाइड नमक के 05 व गेहूँ के आटे के 02 प्रोडयूसर/निर्माताओं के द्वारा फोर्टीफाइड उत्पाद उपलब्ध कराये जा रहे हैं। जन सामान्य के स्वास्थ्य की बेहतरी व प्रदेष में फोर्टीफाइड तेल उत्पाद के लिये फरवरी माह में उनके साथ वर्कषाॅप आयोजित की  जा रही है, जिससे कि चरणवार भविश्य का कार्यक्रम तय किया जा सके। देष का 17ः दूध का उत्पादन उत्तर प्रदेष में है। फोर्टीफाइड दूध उपलब्ध कराने की रणनीति में सर्वप्रथम 50 हजार लीटर प्रतिदिन के उत्पादन की 82 डेयरी जो 32 जनपदों में है, के साथ षीघ्र ही विचार-विमर्ष किया जायेगा।

विभिन्न कम्पनियों व संस्थाओं से अपर मुख्य सचिव द्वारा अनुरोध किया गया कि जन सामान्य को फोर्टीफाइड उत्पाद के सम्बन्ध में जागरूक बनाने के साथ ही विषिश्ट अभियान चलाने की आवष्यकता है। इस अभियान में बच्चों, बड़ों व महिलाओं सभी पर ध्यान केन्द्रित करते हुये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवष्यकता है। खाद्य सुरक्षा का सीधा प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है। अतः यह आवष्यक है कि इनफोर्समेण्ट के साथ-साथ जागरूकता के कार्यक्रम भी प्रभावी ढंग से चलाये जायें। इनफोर्समेण्ट को सफल बनाने हेतु सैम्पल लेने, सैम्पल टेस्टिंग, उसकी रिपोर्ट, डिस्पैच, वाद दायर करने आदि सभी की समयावधि की समीक्षा हेतु कम्प्यूटराइजेषन कराया जा रहा है और नमूनों का विष्लेशण अब षासन द्वारा दैनिक रूप से माॅनीटर भी किया जा रहा है। फोर्टिफिकेषन की प्रक्रिया में भारत सरकार, प्रदेष सरकार, सम्बन्धित निर्माताओं, उद्योग व जन सामान्य सभी के सम्पूर्ण सामंजस्य से त्वरित गति से आगे बढ़ाया जा सकता है।

 इस कांफे्रस में श्री तरूण विज, कण्ट्री डायरेक्टर, गेन, श्री जय अग्रवाल, प्रबन्ध निदेषक, सी0पी0 मिल्क, सुश्री षरीका यूनुस, यूनाइटेड नेषन्स, फूड प्रोग्राम, श्री विवेेक अरोड़ा, सीनियर एडवाइजर, टाटा ट्रस्ट, सुश्री विथिका कृश्णावत, एफएसएसएआई, कारगिल इण्डिया, आई0टी0सी0 फूड डिवीजन, अंकुर केम फूड आदि ने भाग लिया। 

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