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रोहिंग्या विवाद के बावजूद चीन और म्यामां ने साथ खड़े होने का संकल्प लिया

नेपीडा (म्यामां), : चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और म्यामां की नेता आंग सान सू ची के बीच देश में विशाल बुनियादी ढांचा निर्माण संबंधी समझौते को लेकर शनिवार को बैठक हुई। इस बीच सू ची ने कहा है कि म्यामां हमेशा चीन के साथ खड़ा रहेगा।


चीनी नेता म्यामां की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं।


गौरतलब है कि 2017 में म्यामां में मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हुई सैन्य कार्रवाई के कारण करीब 740,000 रोहिंग्या मुसलमानों को सीमा पार कर बांग्लादेश जाने को मजबूर होना पड़ा। उस कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने नरसंहार करार दिया था। इस कार्रवाई को लेकर आलोचनाओं के बावजूद म्यामां के साथ चीन मजबूती से खड़ा रहा।


सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यामां’ के अनुसार, शुक्रवार को यहां पहुंचने के बाद शी ने इस यात्रा को दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों के लिए एक ‘‘ऐतिहासिक क्षण’’ कहा।


उन्होंने ‘‘अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ईमानदारी न होने और असमानता’’ का भी जिक्र किया, जिसे कुछ हद तक अमेरिका के संदर्भ में माना जा सकता है। अमेरिका ने म्यामां के सेना प्रमुख मिन आंग हलांग पर प्रतिबंध लगाया है।


म्यामां की नेता सू ची ने कहा कि उनका देश हमेशा चीन की तरफ रहेगा। रोहिंग्या पर कार्रवाई को लेकर सेना का बचाव करने के लिए पश्चिमी देशों ने सू ची की आलोचना की थी।


उन्होंने शुक्रवार देर रात एक समारोह के दौरान कहा, ‘‘पड़ोसी देश के पास दुनिया के अंत तक एक साथ रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।’’ एशियाई महाशक्ति चीन अब म्यामां का सबसे बड़ा निवेशक है और देश की कई परियोजनाओं में आर्थिक मदद दे रहा है।


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