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पूर्वी क्षेत्र में 70 अरब डॉलर के निवेश की संभावनाएं देख रहा है इस्पात मंत्रालय

कोलकाता, : केंद्रीय पेट्रोलियम एवं इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि इस्पात मंत्रालय देश के पूर्वी क्षेत्र में इस्पात उद्योग से जुड़ी परियोजनाओं में कुल मिला कर 70 अरब डॉलर के निवेश की संभावनाएं देख रहा है।

उनकी राय में ये परियोजनाएं क्षेत्र में विकास की गति तेज करेंगी। प्रधान यहां ‘पूर्वोदय’ कार्यक्रम के उद्घाटन के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तरी आंध प्रदेश, झारखंड और ओडिशा के पिछड़े जिलों के विकास के लिये इन इलाकों में इस्पात उद्योग की परियोजनाओं का बड़ा योगदान हो सकता है।

उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में कोयला, लौह अयस्क और बॉक्साइट जैसे खनिज प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं। इस कारण इस क्षेत्र में इस्पात उद्योग के विकास की बड़ी संभावना है। इस सूची में बिहार को भी शामिल किया जा सकता है।

राष्ट्रीय इस्पातनीति 2017 में 2030 तक इस्पात उत्पादन क्षमता 30 करोड़ टन वार्षिक करने का लक्ष्य है। इसमें से 20 करोड़ टन पूर्वी क्षेत्र से आ सकता है।

उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित इस समारोह में प्रधान ने कहा, ‘‘आज भी देश में सालाना 14 करोड़ टन के इस्पात उत्पादन में नौ करोड़ टन पूर्वी क्षेत्र में हो रहा है।’’

इस अवसर पर इस्पात मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव रसिका चौबे ने कहा कि पूर्वोदय कार्यक्रम में पूर्वी अंचल में बुनियादी ढांचे और माल लाने-ले जाने की सुविधा की कमी दूर करने की पहल भी होगी। उन्होंने कहा कि भारत को 2024-25 तक 5 हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में पूर्वात्तर क्षेत्र ‘ बहुत सहज और संभावनापूर्ण स्थिति में है।’’

कोल इंडिया के चेयरमैन अनिल झा ने कहा, उनकी कंपनी प्रयासरत है कि देश में कोयले के आयात की आवश्यकता कम से कम रह जाए। कंपनी ने 2023-24 तक वर्षिक कोयला उत्पादन 90 करोड़ टन तक करने का लक्ष्य रखा है। अभी उत्पादन स्तर 60.7 करोड़ टन है।

सरकारी इस्पात उपक्रम सेल के चेयरमैन ए.के. चौधरी ने कहा कि उनकी कंपनी के पूर्वी क्षेत्र में पांच कारखाने हैं। उनमें दो करोड़ टन उत्पादन हो रहा है।

इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि तेल-गैस पाइपलाइन नेटवर्क के विस्तार से इस्पात की मांग और खपत बढ़ेगी।


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