आगरा, : थाना ताजगंज क्षेत्र के एक फ्लैट में थाइलैंड की युवती का शव मिलने से सनसनी फैल गयी। शव के पास से मिले सुसाइड नोट से पुलिस को लगता है कि उसने बेरोजगारी से परेशान होकर यह कदम उठाया।
इस संबंध में एसपी सिटी रोहन पी बोत्रे ने बताया कि उन्होंने मौके का निरीक्षण किया है और फोरेंसिक टीम ने घटना से सारे सुबूत एकत्रित कर लिये हैं। मृतका थाइलैंड की रहने वाली थी जो पैसे और नौकरी न होने की वजह से परेशान थी।
जानकारी के मुताबिक थाइलैंड की रहने वाली अंचली (43) 2018 से भारत में है। वह आगरा में स्पा सेंटर में काम करती थी और विभवनगर कॉलोनी स्थित एक अपार्टमेंट में रहती थी।
अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के मुताबिक कई दिनों से युवती के फ्लैट का दरवाजा बंद था। सोसायटी के लोगों को शक हुआ तो मंगलवार दोपहर को पुलिस को सूचित किया। सूचना पर मौके पर एसपी सिटी बोत्रे और सीओ सदर विकास जायसवाल पहुंच गये।
फ्लैट का दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर दाखिल हुई तो बिस्तर पर युवती का शव पड़ा हुआ था। शव के पास से मिले सुसाइड नोट में लिखा है- ‘‘नो मनी, नो जॉब, नो फैमिली। इसलिये मरना चाहती हूं। मैं कभी जीवन नहीं चाहती।’’
सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि उसकी पार्थिव देह का दाह संस्कार करके बाद में राख को यमुना में प्रवाहित किया जाये। जिससे आत्मा को शांति मिलेगी।
बोत्रे ने बताया कि उसने सुसाइड नोट में जो लिखा है उसके आधार पर यदि उसके शव को कोई लेने नहीं आता है तो पुलिस उसकी सुसाइड नोट में लिखी इच्छा पूरी करेगी।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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