तिरुवनंतपुरम, : सत्तारूढ़ माकपा नीत एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस नीत यूडीएफ ने राजनीतिक मतभेदों को एक तरफ रखते हुए सोमवार को यहां संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस कानून को “स्वतंत्रता छीनने” का प्रयास बताया।
दो धुर विरोधियों के वर्चस्व वाले इस द्विध्रुवीय राज्य में एकजुटता का दुर्लभ प्रदर्शन करते हुए, विजयन और विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने
मार्टेयर्स कॉलम में आयोजित बैठक में मंच साझा किया और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की निंदा की तथा कुछ हल्के-फुल्के पल भी साझा किए।
इस मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ देश में पहले तरह की इस संयुक्त बैठक में दोनों दलों ने भाजपा नीत राजग, आरएसएस और संघ परिवार पर हमला बोला तथा आरोप लगाया कि यह संशोधन लोगों को बांटने और “एक धार्मिक देश” को बांटने के उनके एजेंडे के तहत लाया गया है।
राज्य में विभिन्न संगठनों और छात्र एवं युवा संगठनों ने भी सीएए के खिलाफ रैलियां निकालीं। विभिन्न स्थानों पर ट्रेनों को बाधित किया गया।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सीएए के खिलाफ विरोध कर रहे लोगों से किसी तरह की हिंसा में शामिल होने से बचने को कहा और कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथों में लेने का अधिकार नहीं है।
विजयन ने यहां प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि देश “विस्फोटक” माहौल का सामना कर रहा है और यह कानून स्वतंत्रता को “बाधित” करने का प्रयास है।
उन्होंने दावा किया कि संशोधन ने संविधान के मूलभूत ढांचे को बदल दिया और यह “असंवैधानिक” था।
संयुक्त प्रदर्शन में देशभर के प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता अभिव्यक्त की गई और मुख्यमंत्री ने कहा कि जो कोई भी घोषणा करता है कि अल्पसंख्यकों को नागरिक नहीं माना जाएगा, केरल उसका विरोध करेगा और ऐसे किसी कानून को लागू नहीं करेगा।
विजयन ने कहा, “लोगों को चिंता थी कि हम किसी केंद्रीय कानून का विरोध कैसे करेंगे। हम अपना पक्ष साफ करना चाहते हैं। हम सभी ने भारत के संविधान के तहत शपथ ली है। हम हर उस व्यक्ति का विरोध करेंगे जो हमारे संविधान को बर्बाद करने की कोशिश करेगा। हमारी निष्ठा संविधान के प्रति है न कि आरएसएस के एजेंडा के प्रति।”
उन्होंने आरोप लगाया कि देश में मौजूदा 'संकट' जानबूझ कर केंद्र द्वारा उत्पन्न किया गया है और “आरएसएस का एजेंडा यह सुनिश्चित करना है कि भारत धर्मनिरपेक्ष नहीं बल्कि धार्मिक राष्ट्र बन जाए।”
विभिन्न मुद्दों पर विधानसभा में अक्सर टकराने वाले विजयन और चेन्नीथला आज हल्के-फुल्के क्षण बिताते दिखे।
यह शायद पहली बार है जह सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टी केरल में साथ आई हो और केंद्र सरकार के खिलाफ संयुक्त प्रदर्शन का आयोजन किया।
चेन्नीथला ने आरोप लगाया कि संघ परिवार भारत में हिटलर के एजेंडा के साथ “प्रयोग” कर रही है और जो इसका विरोध कर रहे हैं उनको डराया-धमकाया जा रहा है।
राज्य के मंत्री ई पी जयराजन, ए के बालन, ई चंद्रशेखरन, कडकमपल्ली सुरेंद्रन और कडनापल्ली रामचंद्रन के अलावा पी जे जोसफ, एम के मुनीर और अनूप जैकब समेत यूडीएफ के कई नेता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
इस बीच, विभिन्न सरकारी विभागों के संगठन भी बैठक स्थल पर एकत्र हुए और एकजुटता अभिव्यक्त की।
प्रदेश भाजपा ने दोनों दलों पर यह कहते हु निशाना साधा कि चुनावों में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने के बावजूद दोनों ने हाथ मिला लिया।
प्रदेश भाजपा सचिव के सुरेंद्रन ने मीडिया से कहा, “दोनों मोर्चों का प्रयास मुस्लिम वोट बैंक को लुभाना है।”
सीएए के विरोध में केरल की सड़कों पर कई राजनीतिक दल और संगठन भी उतरे।
तिरुवला, कोल्लम और पलक्काड में ट्रेनों को रोका गया जहां कार्यकर्ता सोमवार सुबह रेल पटरियों पर बैठ गए।
डीवाईएफआई, केएसयू और एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने रविवार मध्यरात्रि के बाद से राजभवन तक विरोध मार्च निकाला।
दूसरी ओर कोच्चि के निकट अलौवा में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सीएए के विरोध में मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला को काले झंडे दिखाए।
हेपतुल्ला हवाईअड्डे जा रहीं थी जब युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन्हें काले झंडे दिखाए।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाया, उसके बाद राज्यपाल गंतव्य की ओर रवाना हो सकीं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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