नयी दिल्ली, (भाषा) दिल्ली पुलिस ने रोहित शेखर तिवारी की पत्नी और वकील अपूर्वा को उनकी हत्या के आरोप में बुधवार को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनका वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार रोहित शेखर की 15 और 16 अप्रैल की दरम्यानी रात को कथित तौर पर गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। रोहित दिवंगत वरिष्ठ नेता एन डी तिवारी के पुत्र थे।
अतिरिक्त आयुक्त (अपराध) राजीव रंजन ने संवाददाताओं से कहा कि घटना की रात दोनों के बीच एक रिश्तेदार को लेकर झगड़ा हुआ था। काफी नशे में होने के कारण रोहित विरोध करने की स्थिति में नहीं थे। झगड़े के दौरान पत्नी ने रोहित का गला घोंट दिया।
अधिकारी के अनुसार दोनों का वैवाहिक जीवन सुखद नहीं था और अक्सर उनकी लड़ाई होती थी।
रंजन ने कहा कि अपूर्वा ने स्वीकार कर लिया है। अब तक के तथ्य और परिस्थितियों से ऐसा लगता है कि हत्या की कोई योजना नहीं थी। वहां पृष्ठभूमि पहले से ही थी और उनकी शादी ठीक नहीं चल रही थी। रोहित शेखर और उनका परिवार अलग होने के बारे में सोच रहे थे। पूछताछ के बाद यह पाया गया कि अपूर्वा शुक्ला तिवारी और रोहित का वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण चल रहा था।
अपूर्वा उच्चतम न्यायालय में वकालत करती हैं। अपूर्वा से इस मामले में गत रविवार से पूछताछ की जा रही थी।
अधिकारी के अनुसार वह लगातार अपने बयान बदल रही थीं जिससे पुलिस को उन पर संदेह हुआ।
रोहित की मां उज्ज्वला ने रविवार को अपनी बहू अपूर्वा और उसके परिवार पर लालची होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वे पारिवारिक संपत्ति हड़पना चाहते थे।
उन्होंने पहले कहा था कि दंपति के बीच शादी के पहले दिन से ही झगड़े हो रहे थे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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